4. जियाउल हक जी के दुगो कबिता (6,7) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता
सुनी सुनी ई बात, ए
बाईक वाला भईया।
खुशहाल बनाई, आपन
जीवन के नईया।
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तेज गाड़ी सड़क पर,
जन दौड़ाई।
अपना साथ दोसरो के,
जीनगी बचाई।
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घर पर केहु करत
बावे, राउर इंतजार हो।
तहके कुछु हो जाई, कईसे
चली परिवार हो।
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हेल्मेट जुता पेहेन
के भईया, बाईक के चलाई जी।
सड़क प चले वाला
गाड़ी के, हवा मे जन उड़ाई जी।
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अपनो जान गवाएम
रउवा, दोसरो के जान ले जाएम जी।
अगर हिरो बाजी मे,
बाईक तेज चलाएम जी।
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सुरक्षा मंत्र से
जिया के, एगो ईहे त निहोरा बा।
तहरे से परिवार
तहार सूरज नियन अजोरा बा।
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2. आपन आपन
मजहब
माने
छूट
बावे
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अलग-अलग
बा भाषा फिर भी ना कवनो फूट बाबे।
आपन-आपन
मजहब माने के इहवा छूट बाबे।
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फिर काहे इहवा होखत भाई शोर सराबा बा।
मजहब के नाम पर
काहे होखत खून खराबा बा।
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कुरान होखे या वेद पुराण
सब मे एके उपदेश बावे।
फिर काहे मानव मानव
से होखत इहवा द्वेष बावे।
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एक दुसरे के मारत
बारS ई कईसन आजादी बा।
सम्भाल जा ए भाई
एसे वतन के होत बर्बादी बा।
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हिन्दू-मुस्लिम, सिख-इसाई
सबके खून बा ई माटी मे।
ई कईसन जहर घुलल बा
जी काश्मीर के घाटी मे।
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अंतिम लाइन मे सब लोगन से देखी इहे निहोरा बा।
बचल-खुचल
अब रहे दी ई भारत माई के सिंगोरा बा।
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जियाउल हक
जैतपुर सारण बिहार
पिन- 841205
मो- 8128537330
असुद्धि पर धियान देवे के ताक बा !!
जवाब देंहटाएंजिआउल हक जी....धेयान देईं...जय-जय...असुद्धि ठीक क के रउआँ भेज सकेनीं...फेर ओके इहां डाल देहल जाई...जय-जय
जवाब देंहटाएंजी आभार। हम अशुद्धि के दूर करेके प्रयास करेम
जवाब देंहटाएंरचना बहुत सुन्दर लगली सन
जवाब देंहटाएंजी आभार
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