1. पंकज यादवजी के दुगो कबिता (1, 58) - माईभाखा कबिताई प्रतियोगिता


1. कबले अइसे सुतल रहबs... 

कबले अइसे सुतल रहबs...! 
कबतक इहा अछुतल रहबs...! 
माटी तोहके बिया पुकारत...! 
कईके दृढ़ बिस्वास लिखs...! 
जागs हो भोजपुरिया भाई...! 
अब आपन इतिहाश लिखs...!!
                      कुछ आस लिखs कुछ पास लिखs।
                       कुछ लागल मन के आस लिखs ।।
                       कुछ जुड़ रहल कुछ छूट रहल ।
                       कुछ टूट रहल बा सास लिखs ।।
                       कुछ आग लिखs कुछ पाछ लिखs। 
                       कुछ बीत चुकल उ बात लिखs।।
                       कुछ जात लिखs कुछ पात लिखs।
                       कुछ हीत-मीत के घात लिखs।।
मातृभूमि आ देश ला गिरल....!
भोजपुरियन के लाश लिखs!
जागs हो भोजपुरिया भाई...!
अब आपन इतिहाश लिखs...!!
                       कुछ नेह लिखs कुछ छोह लिखs ।
                       कुछ अपनन से विद्रोह लिखs ।।
                       कुछ रंग लिखs कुछ भंग लिखs ।
                       कुछ घर घर छीडल उ जंग लिखs।।
                       कुछ नेह छोह के उपवन से ।
                       कुछ मन मे उठल उमंग लिखs ।।
                       कुछ टेढ़ लिखs कुछ सोझ लिखs।
                       कुछ परल कपारे बोझ लिखs ।।
अब तू आपन कलम उठा के....!
दुनिया के आभाष लिखs...!
जागs हो भोजपुरिया भाई...!
अब आपन इतिहाश लिखs...!!
                    कुछ सत्ता के अभिमान लिखs ।
                    कुछ नेतन के ईमान लिखs ।।
                    कुछ फाँसी चढ़ल किसान लिखs।।
                    कुछ पत्थर खात जवान लिखs ।।
                    कुछ जनता के अधिकार लिखs ।
                    कुछ बाढ़ में बहल बधार लिखs ।।
                    कुछ कुछ तीर लिखs तलवार लिखs।
                    कुछ इज्जत बीच बाजार लिखs
दुख गरीबी अउर लाचारी..!
के उड़ल उपहास लिखs....!
जागs हो भोजपुरिया भाई...!
अब आपन इतिहाश लिखs...!
                      कुछ मीठ लिखs कुछ तीत लिखs।
                      कुछ घरके ढहल उ भीत लिखs।।
                      कुछ हार लिखs कुछ जीत लिखs ।
                      कुछ गाँव समाज के रीत लिखs ।।
                      कुछ प्रेम लिखs कुछ प्रीत लिखs । 
                      कुछ यार लिखs कुछ मीत लिखs ।। 
                      कुछ दुख लिखs कुछs सुख लिखs।
                      कुछ मन के अपना भूख लिखs।।
बहूत सहाइल,बहुत रोकाइल...!
भइल बहुत बरदास लिखs...!
जागs हो भोजपुरिया भाई...!
अब आपन इतिहाश लिखs...!
                    कुछ हाव लिखs कुछ भाव लिखs ।
                    कुछ मन मे उपटल घाव लिखs ।।
                    कुछ सहर लिखs कुछ गाँव लिखs ।
                    कुछ घर घर के टकराव लिखs ।।
                    कुछ धूप लिखs कुछ छांव लिखs ।
                    कुछ कउवन के कांव कांव लिखs।।
                    कुछ आव लिखs कुछ ताव लिखs ।
                    कुछ अधजल डूबत नाव लिखs ।।
खून से अपना धरती सींचलs...!
तबो ना मिटल पियास लिखs...!
जागs हो भोजपुरिया भाई...!
अब आपन इतिहाश लिखs...!
                         कुछ मन के अपना पीर लिखs।
                         कुछ माया के जंजीर लिखs।।
                         कुछ आँख से छलकत नीर लिखs।
                         कुछ धईके तनिका धीर लिखs ।।
                         कुछ परल कपारे भीर लीखs।
                         कुछ छूट गइल उ फिर लिखs ।।
                         कुछ चीन लिखs कश्मीर लिखs ।
                         कुछ भेदे हिय के तीर लिखs।।
कंकर पत्थर जोड़ी जोड़ी के..!
अब पूरा कैलास लिखs..!
जागs हो भोजपुरिया भाई...!
अब आपन इतिहाश लिखs...!
माटी तोहके बिया पुकारत...!
कईके दृढ़ बिस्वास लिखs...!
जागs हो भोजपुरिया भाई...!
अब आपन इतिहाश लिखs...!


2. एगो घटना भईया हमरा साथे घट गइल...।


एगो घटना भईया हमरा साथे घट गइल...।
धकिया के हमके बस में हमसे कनिया एगो सट गइल..।।
गोर गोर तनवा चमके सुरुज अस नयनवा..!
तिरछी नजर से लागे हियरा में बनवा..।
लागे चाँद आके बादरी से घरती प लटक गइल..।
काल्हु एगो घटना भईया हमरा साथे घट गइल.।।

गोर गोर गाल चाल चले जस हिरनिया..। 
लाल लाल ओठ आ कमरिया कोईनिया.। 
धनुस नियन भौहा गोल मुह चुनमुनिया..। 
लागे कि तरासल संगमरमर से बदनीया.।
बोली ओकर कोयल नियन हियरा में धस गइल..।
काल्हु एगो घटना भईया हमरा साथे घट गइल..।

रूपवा अनूप रहे धुप ना सहात रहे..।
मन हमार देख देख उनुके मुसूकात रहे..।
मत पूछी दुःख हमार दुःख उनकर देख के..।
खाड़ रहली उ आ गोड मोर दुःखात रहे..।
गमछा से सीट ओकर साफ झटपट भइल..। 
काल्हु एगो घटना भइया हमरा साथे घट गइल..।।

कहनी की बबुनी हो बइठ जा हेइजा जगही बा..।
हम त अब्बे चल जाइब स्टेसन हमार लगही बा..।
सुनते ओकर मुँह कादो गुस्सा से लाल भइल.।
नेकी कइल हमार आज हमरे खातिर काल भइल..।
नजरिया में ओकरा पंकजवा बउचट भइल..।
काल्हु एगो घटना भईया हमरा साथे घट गइल..।।

जवानी में सठिया गए हो बुरबक देहाती..।
लड़के को लड़की बोलते सरम नहीं आती..?
तुमसे बतियाना हमारे लिए फजूल है..।
इडियट नॉनसेन्स और तू बहुते ब्लडी फूल है..।
सुनते ओकर बात हमार मुहवा लटक गइल..।
काल्हु एगो घटना भईया हमरा साथे घट गइल.।।

चुप चाप अपना जगहि प बइठ गइनी जा के..।
भाई एगो कहले तब हमरा लगे आके..।
नयका जमाना क नयका लवंडा ह..।
कुल डूड बन के रहल एकनी क फंडा ह..।
बोलिहे सन अंग्रेजी आ इस्टाइल मरिहे राही में..।
सभ्यता संस्कार भईया इनहन खातिर बंड़ा ह..।
कोसत अपना आप के उतर गइनी टीसन प...।
आगि लागो लइकन के फैसन अइसन प..।
नेकी कइल सोचनी त हमसे खटपट भइल..।
काल्हु एगो घटना भईया हमरा साथे घट गइल..।
काल्हु एगो घटना भईया हमरा साथे घट गइल..।।

"पंकज यादव भोजपुरिया"
रुद्रपुर देवरिया

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