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श्री धर्मदेव चौहानजी के जोगीर्रा (2,3,4,5) - जोगीर्रा सरSSररSS पहल प्रतियोगिता - 2018

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1- साहब तोहरा देश में भूखा बा इंसान l  MDM के खिचड़ी खाके फुल गइल परधान l जोगीर्रा सा रा रा रा .......... 2- बुआ जी के पाड़ा सनकल, पप्पू कसे लंगोट l  भइया पड़ि गये गदहा पीछे, भऊजी मांगें वोट l जोगीर्रा सा रा रा रा .......... 3- के मांगेला चना- चबैना , के मांगे मिठाई l  केकरा चाहीं काम के सरियत ,केकरा मुंह देखाई l जोगीर्रा सा रा रा रा ............. जनता मांगें चना -चबैना कारकर्ता मिठाई l  भईया मांगें काम के सरियत, भऊजी मुंह देखाई l जोगीर्रा सा रा रा रा .......... 4- जे जीती ऊ चानी काटी, जे हारी उ तिरकोल l  कारकर्ता लोग भंटा बोईहें, जनता छिली ओल l जोगीर्रा सा रा रा रा .......... 5- के लूटावे सोना चानी, के भइल कंगाल l  के पहिरेला सूट-सोफारी, केकर बा भौकाल l जोगीर्रा सा रा रा रा .......... बुआ लुटावें सोना चानी, पपुआ भइल कंगालl   साहब पहीरें सूट सफारी, भक्ततन के भौकाल l जोगीर्रा सा रा रा रा .......... धर्मदेव चौहान

श्री निलेश मिसिरजी के जोगीर्रा (1) - जोगीर्रा सरSSररSS पहल प्रतियोगिता - 2018

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पूँछ पटकि के कुक्कुर खा, चाट-चाट बिलारि, सफाचट्ट कर नीरव खइने, खोज रहल सरकार......... जोगीरा सा रा रा रा श्री निलेश कुमार मिश्र पथरदेवा, देवरिया ( मोबाइल - 9935290022)

जोगीर्रा सरSSररSS पहल प्रतियोगिता - 2018

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आपन मेहरी पेट ढंके, दूसरे के रखले रहे उघार, इ हे आज के सोंच कबीरा, इ हे त बा संसार.... जोगीर्रा सरss ररss.... जोगीर्रा सरSSररSS...पहल बा...बस की लोग अपनी भाखा में लिखे...खेल-खेल में लीखे..सब केहू लिखे....प्रतियोगिता ना पहल.....सुनतानीं...तनि एगो लल्लनटाप कुरताफाड़ जोगीर्रा लिख भेजीं...रउरी जोगीर्रा में नेतन के धोती खुलो चाहें गील होखो....भस्टाचार, बेरोजगारी के हवा खुलो भा...कवनो भी सामाजिक सरोकार...आपन गाँव दुआर के बात होखो.....लिख भेजीं...एगो एइसन जोगीर्रा जवने के अगिला फगुआ ले लोग गुनगनइले पर मजबूर होखे...जय-जय। prabhakargopalpuriya@gmail.com पर अपनी नाम, फोटो आदि की साथे मेल क दीं। जय-जय।

श्री कन्हैया प्रसाद रसिक जी के 1गो अउर होरी गीत (16) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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डँसले बा करिया नाग ए सखी फागुन में ।। डँसले बा करिया नाग ए सखी फागुन में ।। पियवा जे रहिते तs बैदा बोलइते गोदिया उठाके लहर उतरइते देवरा भइल बाटे साग ए सखी फागुन में ।। डँसले बा करिया नाग ए सखी फागुन में ।। होली के लहरा सब कोई गावे मारे दरद के कुछ नाहीं भावे बाउर बा जोगिरा के राग ए सखी फागुन में ।। डँसले बा करिया नाग ए सखी फागुन में ।। मन बउराइल बा डेग डगमगाता   चढ़ेला लहरिया त तन छटपटाता   कइसे मनाइब अब फाग ए सखी फागुन में ।। डँसले बा करिया नाग ए सखी फागुन में ।। कन्हैया प्रसाद रसिक  परिचय:- नाम- कन्हैया प्रसाद रसिक ग्राम- हथडीहाँ ,  पोस्ट- सकरी रामनगर ( हसन बाजार) जिला- रोहतास ( बिहार ) भूतपूर्व वायु सैनिक ( वारंट अफिसर ) कृति-  पथिक-पाथेय और ऊँ भ्रष्टाचाराय नम: ( हिन्दी में काव्य संग्रह ) मोबाइल नं. - 8867651348

श्री विद्या शंकर विद्यार्थी जी के 1गो अउर होरी गीत (15) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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होली खेलन आये बिहारी, रे माई होली खेलन आये बिहारी, रे माई  होली खेलन आये बिहारी, रे माई  ब्रज के गलियन में शोर मचल बा  शोर मचल बा रे जोर मचल बा  चल$ता रंग पिचकारी, रे माई  होली खेलन आये बिहारी, रे माई |                        केहू के रंगता तन के चुनरिया  तन के चुनरिया रे मन के चुनरिया  बरीज ना माने बिहारी, रे माई                              होली खेलन आये बिहारी, रे माई | हमरो रे मनवा बा साध पुराइब साध पुराइब रे आज पुराइब  रंग दिहब हम बरियारी, रे माई  होली खेलन आये बिहारी, रे माई |                      चलेला होली में होरी बलजोरी होरी बलजोरी रे होरी बलजोरी  जाई ना मन के खुमारी, रे माई होली खेलन आये बिहारी, रे माई | विद्या शंकर विद्यार्थी 

सुश्री निशा राय जी के 2गो होरी गीत (13, 14) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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1. बहे लागल देख फगुनी बयार...चलऽना गुंइयाँ बगिया में  चह-चह चिरऽई चहकत होई  मह-मह मोजर महकत होई  पीयर  सरसो   लहकत होई धरती कइले होइहें सोलहो सिंगार..चलऽना गुंइयाँ बगिया में  छिछली तलइया डाल के पऽइयाँ बइठल  जाई  पेड़     के  छऽइयाँ ओढ़ के बदरा बिछा के   भुऽइयाँ रिमझिम-रिमझिम बरसी अखियाँ से प्यार...चलऽ ना गुंइयाँ रंगली   तोहरे  रंग   चुनरिया फागुन में हो गइलीं बावरिया अपनी नगरिया ले जा सँवरिया  फली फूली उंहवें नेहिया हमार...चलऽ ना गुंइयाँ बगिया में  2.  चढ़ते फगुनवा में लोग बउरईले हाय रे फगुआ झूमे लगले गउँआ जेवार हाय रे फगुआ साल सूइटर भउजी घामा में सुखऽवली मोटरी में बाँन्ह के मचानि पर चढ़ऽवली पेन्ह लिहली साड़ी लहरेदार हाय रे फगुआ झूमें लगलें गउँआ जेवार हाय रे फगुआ फगुनी बयार में बेमार भइल दुनिया घर से निकलला में डेराये लागल मुनिया बिगड़ल समाज के बिचार हाय रे फगुआ  झूमे लगलें गउँआ जेवार हाय रे फगुआ          ----निशा राय  राम अवध नगर, खोराबार गोरखपुर, उत्तरप्रदेश पिन  273010 मो.न. 8542898686

श्री कन्हैया प्रसाद रसिक जी के 1गो अउर होरी गीत (12) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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होलिया में अइते सजनवा रचि रचि करितीं सिंगार,   होलिया में अइते सजनवा ।। कजरा के कोर के कटाह हम बनइतीं सैंयाजी के देख दाँते ओठवा चबइतीं सेजिया पो लुटतीं बहार हो आहे सेजिया पो लुटतीं बहार होलिया में अइते सजनवा रचि रचि करितीं सिंगार,   होलिया में अइते सजनवा ।। प्यार के रंग उनका अंगे अंग लगइतीं रकटल पियवा के जियरा जुड़इतीं जाये ना दिहतीं बधार हो आहे जाये ना दिहितीं बधार होलिया में अइते सजनवा, रचि रचि करितीं सिंगार ,   होलिया में अइते सजनवा ।। देवरू जे अइते घुडुक के भगइतीं ननदी के कान में संजीवनी चुवइतीं सेजिया होइत गुलजार हो   आहे सेजिया होइत गुलजार होलिया में अइते सजनवा रचि रचि करितीं सिंगार   होलिया में अइते सजनवा ।। कन्हैया प्रसाद रसिक  परिचय:- नाम- कन्हैया प्रसाद रसिक ग्राम- हथडीहाँ ,  पोस्ट- सकरी रामनगर ( हसन बाजार) जिला- रोहतास ( बिहार ) भूतपूर्व वायु सैनिक ( वारंट अफिसर ) कृति-  पथिक-पाथेय और ऊँ भ्रष्टाचाराय नम: ( हिन्दी में काव्य संग्रह ) मोबाइल नं. - 8867651348

श्री जगदीश खेतानजी के 1गो होरी गीत (11) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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कबले होइहं गवनवा हमार      कबले होइहं गवनवा हमार भउजी।      बाटे मौसम मे आइल खुमार भउजी।      बसंती हवा चले देहीयां दुखाता।      कोइलर के बोलियो माहुर बुझाता।      नीक लागे ना पायल झंकार भउजी।      कबले होइहं गवनवा हमार भउजी।      सरसो के खेतवा मता के पिअराइल।      आमन के बगिया बा खूबे मउराइल।      सून्न लाग$ता सगरो जवार भउजी।      कबले होइहं गवनवा हमार भउजी।      अपने बहिन से  बियाह रचवइलू।      ओकरे बाद आजू ले ना बोलवलू।      भइल फागुन मे हमके बुखार भउजी।      कबले होइहें गवनवा हमार भउजी।      अब गवना करा द तोहार गुन गाइब।      लइकन के तोहरे खेलाइब घुमाइब।      दिन काटल भइल बा पहाड़ भउजी।      कबले होइहं गवनवा हमार भउजी। - श्री जगदीश खेतान

श्री आशुतोष पाण्डेय उर्फ आशु बाबा के 1गो होरी गीत (10) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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माथवा प लेके सँवरु रंग के गगरिया... माथवा प लेके सँवरु रंग के गगरिया हम कईसे के आईं ना ,   सोझा बाटे मजबूरिया हम कईसे के आईं ना। सुना हो ईयार याद तोहर बाडा आवेला , मनवा हमार हहर हहर रही जावेला। मिले खाती आई जा ना गली के कगरिया , हम कईसे के आईं ना.......।टेक। कवनो जतन हमरा कामे ना आवता , पापा माई भाई सब अँखिया देखावता , छोटका भईयावा बाटे हमारा पंजरिया , हम कईसै आईं ना..........।टेक। सुत सब जाई तब मिले हम आईब , आशु बाबा बहरी से कुंडी लगाईब। साजी के प्रशांत रखिह देशी पिचकरिया , हम कईसे आईं ना...........।टेक। - श्री आशुतोष पाण्डेय उर्फ आशु बाबा  

श्री कन्हैया प्रसाद रसिक जी के 1गो होरी गीत (09) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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गोरिया करिके सिंगार   गोरिया करिके सिंगार   छने छने देखेली सुरतिया बिंदिया लगाके गोरी निंदिया उड़वली कजरा कटाह से कटारी चलवली लामी लामी केशिया के झार हो आहे लामी लामी केशिया के झार छने छने देखेली सुरतिया गोरिया करिके सिंगार   छने छने देखेली सुरतिया।। कनवा में नीक लागे झुमका तितल्ला नथुनी मचावे रोज चलला प हल्ला   ओठवा से चुवे रसधार हो ओठवा से चुवे रस धार छने छने देखेली सुरतिया गोरिया करिके सिंगार   छने छने देखेली सुरतिया।। बूटीदार सड़िया प छोटे छोटे बूना गोरिया के रूप बाटे लाख में नमूना चमकेला हीरावा के हार हो चमकेला हीरावा के हार छने छने देखेली सुरतिया गोरिया करिके सिंगार   छने छने देखेली सुरतिया।। कन्हैया प्रसाद रसिक  परिचय:- नाम- कन्हैया प्रसाद रसिक ग्राम- हथडीहाँ ,  पोस्ट- सकरी रामनगर ( हसन बाजार) जिला- रोहतास ( बिहार ) भूतपूर्व वायु सैनिक ( वारंट अफिसर ) कृति-  पथिक-पाथेय और ऊँ भ्रष्टाचाराय नम: ( हिन्दी में काव्य संग्रह ) मोबाइल नं. - 8867651348

श्री विद्या शंकर विद्यार्थी के 1गो अउर होरी गीत (08) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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शिव शंकर के धमवा में फाग शिव शंकर के धमवा में फाग,  गऊरा भांग पिसेली.....  रखिये भभूतिया से खेले महादेव जी  धमवा में जुटल बाड़े रिसी मुनी देवजी पिये पिआये भोला भांग, गऊरा..... | भंगिया त भंगिया धतुरवो पिसाला  खोअवा बरफिया में मन से मिसाला  होली के कढ़ावल जाला राग, गऊरा..... | भोला बाबा नाचेलन डमरूआ बजावेलन संगे  संगे रिसी  मुनी  मस्ती  में गावेलन मचल कैलाश पर बा फाग, गऊरा..... | चल$ता बेअरिया मच$लता बेयरिया     भूत बैतलवा मार$ता सिसिकरिया बिहँसेली हो गऊरा बेलाग, गऊरा...... | विद्या शंकर विद्यार्थी  C/0  डॉ0 नन्द किशोर तिवारी                       निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद सासाराम जि - रोहतास (बिहार)  पिन 821115 

श्री मुकेश कुमार ऋषि वर्मा के 1गो होरी गीत (07) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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फगुनवा आई -------------- फगुनवा आई मनवा लेत हिलोर दिवरा भरी पिचकारी मारी भोर... फगुनवा आई देखी बार-बार तबहुं जी ना भरे ऊपर से नीचे तक दई रंग तऊ जाने कूं मन ना करे... फगुनवा आई अँगनवा फूल खिलल तन-मन खुश्बू बिखरल... फगुनवा आई मोरी चुनरी करी उत्पात कछु ठीक नहीं हालात... फगुनवा आई जी चाही पिया संग करी अंखियां चार पिया चली गयी सात समुंदर पार... फगुनवा आई रूप-रंग निखरी तोहके याद पिया मन बिखरी... ---------- परिचय :- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा  पिता - श्री पूरन सिंह जी माता - श्रीमती रामा देवी जी जन्म - 05/08/1993 शिक्षा - एम. ए., आई. जी. डी. बॉम्बे व पांच प्रमाण पत्रीय कोर्स सम्मान - सैकडों प्रकाशन - आजादी को खोना ना, संघर्ष पथ (काव्य पुस्तिकाएं) साथ ही देश-विदेश की सैकडों पत्र - पत्रिकाओं में, इंटरनेट पर, सोशल मीडिया में हजारों रचनाएं प्रकाशित रूचियाँ - पत्रकारिता, अभिनय, पेंटिंग, लेखन आदि सदस्य - कई सामाजिक, साहित्यिक, राजनैतिक, धार्मिक, कलात्मिक संस्थाओं में अध्यक्ष - बृजलोक साहित्य-कला-संस्कृति अकादमी संचालक - ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय मुख्य आजीविका - कृषि-मजदूरी (मूलत्

श्री लाल बिहारी लाल के 1गो होरी गीत (06) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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भांग खाके भउजी पगला गइली भांग खाके भउइजी पगला गइली देख देवरे पर अब त लुभा गइली फागुन के रंग में गइल बारी रंगाई करे ना असर अब कवनो दवाई देख लोक लाज सब ई भुला गइली देख देवरे पर अब......... पोरे-पोरे रंग में रंगाइल बा देहिया ससुर भसुर से अब लगावेली नेहिया देख केतना से नेहिया लगा गइली देख देवरे पर अब........... गतर-गतर रंग डलिहे जब सजानवा तब जाके भरी भउजी के ई मानवा देवरा लाल बिहारी पर लुभा गइली देख देवरे पर अब........... लाल बिहारी लाल ग्राम +पो.सोनहो बाजार, छपरा बिहार- 841460 फोन- 07042663073 (दिल्ली)

श्री दिलीप पैणाली के 1गो होरी गीत (05) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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उड़ी कइसे अबीर   उड़ी कइसे अबीर  कहऽ बलम परदेसिया साल-माथ के परब अइलऽ नाहीं घरवा, तहरा बिन जाई करब का नइहरवा  फगुआ बढ़ावेला पीड़ हो कहऽ बलम परदेसिया उड़ी कइसे अबीर । भौंरा खेलत बारें कलियन के संगवा, देखी-देखी हमरो कुहुके सईंया मनवा । अंखियन से ढ़रकता नीर हो कहऽ बलम परदेसिया उड़ी कइसे अबीर । जइसे खेलेलें अजय धौला में होरी, पैणाली दिलीप संगे करे बलजोरी । मन मोर होता अधीर,  कहऽ बलम परदेसिया, उड़ी कइसे अबीर । दिलीप कु.पाण्डेय उर्फ दिलीप पैणाली  सैखोवाघाट,  तिनसुकिया,  असम ९७०७०९६२३८

श्री अजय भारती गोस्वामी के 1गो होरी गीत (04) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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फगुनी बेयरिया... उनकी देहियाँ से खुसबू, चोरा के चोरनी बहल फगुनी बेयरिया, सतावे मोहनी कमरा झुराइ गईलें , सूखलीं रजइया चादरा से काम चले, सांझे-बिहनईया नाचे खेतवा में ...फसलिया के मोरनी उनकी देहियाँ से खुसबू चोरा के चोरनी .... बरिया के आमवा, हमार बऊरईलें फुलवा की खूसबू से मन हरिअईलें, रतिया भर राखे ई, जगा के बैरनी उनकी देहियाँ से खुसबू, चोरा के चोरनी .... सड़िया पुरान भइल, फाटि गईल चोलिया कसल बेलऊँजिया में, खेलब कईसे होलिया के लेआई नवकी, झीनदार ओढ़नी उनकी देहियाँ से खुसबू, चोरा के चोरनी .... काहे भेजलीं कमाए, अब तक ऊ न आए हमके दिनवा न भावे, अउरी रतिया सतावे, आम्मा जी से ओरहनिया, लगा के जोरनी उनकी देहियाँ से खुसबू, चोरा के चोरनी .... बहल फगुनी बेयरिया, सतावे मोहनी उनकी देहियाँ से खुसबू, चोरा के चोरनी ....  अजय भारती गोस्वामी

श्री सुनील कुमार दूबे के 1गो होरी गीत (03) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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फाग खेलत ब्रज माहि। फाग खेलत ब्रज माहि। ग्वालन संग कृष्ण कन्हाई। । दिहले उद्यम मचाई।  ग्वालन...........कन्हाई।।            लाल रंग उड़ावे, केहू हरा उड़ावे             हरा उड़ावे केहूँ हरा उड़ावे ... पिरितिया के रंगवा नहाई।  ग्वालन ............ कन्हाई।।            स्वर्ग लोक से देव सब देखे।            देव सब देखे हों देव सब देखे।। भोले बाबा ध्यान लगाई। ग्वालन संग .......कन्हाई।।             खेलत राधा संग में कान्हा।            संग में कान्हा हों संग में कान्हा।।  प्रेम रंग में समाई। ग्वालन संग ....कन्हाई।।            सुर नर मुनि सब देखी हरषाले।          देखीं हहरषाले सब देखीं हर्षाले।। कान्हा जब रास रचाई । ग्वालन संग .......कन्हाई।। सुनील कुमार दूबे (14-01-1984) पिता- श्री उमेश दूबे ग्राम- डेमुसा(दुबौली) पोस्ट- घाॅटी,थाना-भटनी  जिला-देवरिया  (उत्तर प्रदेश)  सम्पर्क सूत्र- 9200099802.                  9300099802. ई मेल-  sk836800@gmail.com . 

श्री केशव मोहन पांडेय के 1गो होरी गीत (02) (प्रतियोगिता से परे) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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कबले रूप के रखवारी होई।। उड़ि उड़ि धुरा फगुआ गाई जा के तहरा देहिंया से लपटाई जब चली बेयार फागुन के हो जब चली बेयार फागुन के फसीलियो के पाँव भारी होई। कबले रूप के रखवारी होई।। राग-रंग के बा रीत अलबेला लइका-बूढ़ सभे करे खेला रस में डूबल पियवा दुनिया हो रस में डूबल पियवा दुनिया घर घर में फाग लाचारी होई। कबले रूप के रखवारी होई।। प्रीति के रंग चढ़े सबका पर बन जाये जगती अति सुन्नर हरषी हरदम धरती अम्बर हरषी हरदम धरती अम्बर मरजाद भरल व्यापारी होई। कबले रूप के रखवारी होई।। *** केशव मोहन पाण्डेय ***

श्री विद्या शंकर विद्यार्थी के 1गो होरी गीत (01) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

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रसिया ना माने रे रंग लिये आये ब्रज खोरी। रसिया ना माने रे रंग लिये आये ब्रज खोरी। एक ओरे स्याम सुन्दर की टोली  दूजे ओर ब्रज के गोरी  लुक छिप स्याम मारे पिचकारी  भींग गई ब्रज की गोरी  रसिया ना माने रे रंग लिये करत बल जोरी। उद्धव स्याम सखा भी आये  लाये ज्ञान के झोली  का होइहें ई ज्ञान गेंठरिया  जहाँ चले रंग रोली  उधो के सुधौ नाहीं रहले धई रंगे ब्रज गोरी | लाल गुलाल उड़े गलियन में  हा हा हा हा धई गोरी  गोरी के गोर नरम कलइया  टूटी जइहें री ममोरी  होली रस्म कीजै होली में होली रहे बस होरी। रसिया ना माने रे रंग लिये आये ब्रज खोरी। विद्या शंकर विद्यार्थी  C/0  डॉ0 नन्द किशोर तिवारी                       निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद सासाराम जि - रोहतास (बिहार)  पिन 821115