21. अनिल कुमार जी के दुगो कबिता (39, 40) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता

1. माई 
तोहरा सेवा से बढके ना कवनो संस्कार बाउवे
तोहरा  अचरा मे  माई  सगरो  जहान  बाउवे
तुही  सब अन- धन  तुही भगवान  हो
तोहरा से बढके ना कुछ येही जहान हो
तोहरा  चरण धुली  मे माई गंगा नहान बाउवे
तोहरा  अचरा  मे  माई  सगरो  जहान बाउवे
भुखे  रह  माई  बबुआ  के  खिलावेलु
अचरा  के  बेनिया  बनाइ  डोलावेलु
तोहरा खातिर माई हरदम बबुआ नदान बाउवे
तोहरा  अचरा  मे माई  सगरो  जहान  बाउवे
बनल रहे सर पर माई तोहार आशिस हो
कही नाही झुके तोहरा बेटा के शिष हो
तोहरा से बढके  जग मे ना केहु महान बाउवे
तोहरा अचरा मे माई सगरो जहान बाउवे


2.  बदरा से अर्जी   (कबिता)
 
अब बरस जा बदरा बहार
हम अरजी करीले तोहार
नाही त लागी सबके हइया
घास-फुस मिले ना दइया
बथानी भुखे बछडा के मइया
बछडा के भी तोहसे पुकार
अब बरस जा बदरा बहार
तोहरा से ना केहु बा खास
सारा जन के तोहसे बा आस
बुझा द तु धरती के प्यास
बन धटा -धनघोर अन्हार
अब बरस जा बदरा बहार
सुखा देहलस फसल के मार
घर मे बिया बेटी कुआर
कइसे होइ ओकर शादी
सर पर महाजन के बा कर्जा भारी
पाव पडी बिनती करी हजारो बार
अब बरस जा बदरा बहार

 अनिल कुमार    
गॉव- बडहरा
पो०+था -गोपालपुर
जिला- गोपालगंज, बिहार

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