9. तरुण कैलाश जी के दुगो कबिता (13, 14) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता

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१ . शीर्षक: झूठो कहाला... 
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झूठो कहाला कि जनावर, जंगल में रहेला 
ई शहरियो त कंक्रीट के, 
...जंगले नू ह?

झूठो कहाला कि होला, अखाड़ा में दंगल 
ई जिनिगियो त एगो, 
...दंगले नू ह?

झूठो कहाला कि होला, अमीरे के बँगला 
गरीब के मड़ईया ओकर, 
...बँगले नू ह?

झूठो कहाला कि सभे दिन, सुभ "मंगल" होखे 
अतवार अबही चार दिन दूर, 
...आजु मंगले नू ह?

झूठो कहाला उनकर हथेली मेहँदी से रँगल बा
उनुकर तन-मन पियवा के रंग में, 
...रँगले नू ह?

झूठो कहाला कि ढेर ओठँगल, ठीक ना होखे 
आखिरी नींद के सुख चिता प, 
...ओठँगले में नू ह?

झूठो के ओकरा फोटो प माला टँगाइल बा 
मुअलो प पिन्सिनिया घर के खर्ची, 
...टँगले नू ह?


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 २  - "चुप लगा गइला से, जीभ ना खियाला" 
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मय बात मनवा के, उघsट ना दियाला 
चुप लगा गइला से, जीभ ना खियाला

मिसरी लेखा मीठ होखो, तहरी हर बतिया 
नाहि त धनिक होके भी, सहबs दुर्गातिया 
आपन बड़ जेठ के, जवाब ना दियाला
चुप लगा गइला से, जीभ ना खियाला

मुँह से निकसल बोली, मन्तर लेखा सुद्ध हो 
शांत बइठs अइसे कि, जइसे गौतम बुद्ध हो 
मीठ बोली वाला के, ऊँच कुर्सी दियाला
चुप लगा गइला से, जीभ ना खियाला

सूने बेसी बोले तनिका, ऊहे बड़का गुणवान 
दू कनवा प एके गो मुँह, एहिसे गढ़ले भगवान् 
भर जोर चिचियईला से, झूठ ना तोपाला 
चुप लगा गइला से, जीभ ना खियाला

हो-हाला कइला से, काम ना फरियाला
आख़िर खलिहा तसलवे नू, ढेर ढनढानाला
अबर जे बाटे ऊहे, ढेर खिसियाला 
चुप लगा गइला से, जीभ ना खियाला

बड़बोलवा के मुँहे कबो, अइसन बोलाs जाला
नाता के मीठ गोरस में जइसे, नींबू घोला जाला
दूध कबो फटला के, बाद ना सियाला
चुप लगा गइला से, जीभ ना खियाला

लाँगा से मुँहे लागल, सुरुआत उत्पात के 
बड़ जे तू बाड़s तs, पी जा बाउर बात के
नीलकण्ठ पी गइले, ज़हर के पियाला
चुप लगा गइला से, जीभ ना खियाला

- तरुण "#तरकश"
हमार पता - 
नगर: सैन होज़े, 
राज्य: कैलिफ़ोर्निया 
देश:  अमेरिका  

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