3. आलोक सम्राट जी के दुगो कबिता (3,4) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता

1-   हादसा
कउनो बांध बा मन के भीतर जवन बा अब तक समेटले
टूट के भी ना बिखरनी कउनो आस बा हमके लपेटले
रात में सपनन के हत्या नींद भी अब खो गईल बा
दिन के कुछ सपनन की खातिर हादसा ई हो गईल बा
अन्हरिया में रात के ठोकर लागे जब राह में ।
कांच के टुकड़ा अगर धंसी जाव तहरा पाँव में ।
राहि से भटकs ना तूँ ई कुछ समय के हार बा ।
लाख क्षमतावान होखअ पर एह समय अँधियार बा ।
जिंदगी के नाव के पतवार मत तूर द।
कांच के टुकड़ा के चलते राह के मत छोड़ द ।
रात त छंटबे करी बस डटल रहिह राह में

लक्ष्य बनके प्रेमिका आ जाई तहरा बाँह में।

2. हम हईं कलाकार ।

हम हईं कलाकार ।
ना रंग बा न रूप बा ।
ना छाँह बा ना धूप बा ।
पानी के जईसन बा ।
अव्यवस्थित आकर ।

हम हईं कलाकार ।
ढल जाईब हर पात्र में ।
गुरु में या छात्र में ।
जईसन भी होखे स्थिति ।
सब बा स्वीकार ।
हम हईं कलाकार ।
हम तरल हम ठोस भी ।
शांत मन आ रोष भी ।
शुरुआत से हर अंत तक ।
हमरे में संसार ।
हम हईं कलाकार ।
हम भिखारी हमहीं राजा ।
राम हम आ हमहीं ख्वाजा ।
रंगमंच पर खड़ा ।
ए राज्य के लोहार ।
हम हईं कलाकार ।
हम हईं कलाकार ।

आलोक सम्राट
उम्र - 21 साल
मो. - 8879903160
पता - 89/19 चार बंगला,म्हाडा,मुम्बई(महाराष्ट्र)

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