39. चंद्रशेखर मिश्र जी के 2गो कबिता (गीत) (77, 78) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता

1. चाँद से बात
सुन चन्दा बताद बतिया  की कब अइहें
मोर घरे हो संघतिया की कब अइहें
सुन सुन बदरा में काहे लुकाल
का मोर करेजऊ के सूरत से लजाल
 सईया के बा तोहसे भोली रे सुरतिया की कब अइहें
मोर घरे -----।।
अंगना में अइहें उनका जराइब्
तड़पीला जइसे हम खूब तरसाइब
जब मनइहें गरवा डालब हम बहियाँ की कब अइहें
मोरा घरे-------।।
का जाने कवने सवत से अझुरइले
लागेला सईया हमरा के भूल गइले
जियरा में धधकत बा बिरह के अगिया की कब अइहें
मोरा घरे ----------।।
सुन बदरा तू सईयाँ भी जइह
रहिया  निहारिल जाके बातइह
फूल से सजाइला सेज आधिरतिया की कब अइहें
मोरा घरे ---------------।।
सुन चन्दा --------------------।।


2. आपन गाँव

फुटेला किरिनियाँ जब,चहकेले चिरइयाँ हो
इयाद पड़ेला भईयाहमरो आपन गईयाँ हो।।
मस्त हवा के झोका जब, आपन राग सुनावेला 
कन -कन में संगीत बसल बा, सब के  बतवेला
सनन- सनन जब चले पुरवईया,
डग-मग डोले नइया हो
ईयाद पड़ेला भइया-----------------
फुटेला---------------------------------------।।
चइता फगुआ आउर दिवालीअजबे लागेला सुहावन
रोपनी के गीतवा से गहगह करे बधरिया मनभावन
 झूम झुम के गावे जब करे किसान कदइया हो  
इयाद पड़ेला------------------------------------------
फुटेला किरिनियाँ-----------------------------------।।
चहक -चहक के फुदक फुदक केचिरई चह -चह जब करेले
लचक -लचक के मटक-मटक केभरे पानी गोरिया चलेले
महलो से अच्छा लागेलाचुनमुन मोर 
मड़ईया हो
इयाद पड़ेला-----------------------------------
फुटेला------------------------------------------।।
                                              

चंद्रशेखर मिश्र
 अनुआँआरा

8789957277

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