30. विशाल सिंह जी के 2गो कबिता (59, 60) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता

1. देशवा के सान बाड़े हो किसान

देशवा के सान बाड़े हो किसान 
जय जय हो किसान
तुहि हवs भगवान
बंजरो जमीन तू करेलs जवान 
तू ही हवs किसान 
नाज बा देशवा के तहरा पर 
देवेलs खुनवा से सींच 
धके बंजरो जमीन के 
एहि से करेला सलाम 
तहरा के देशवा हो 
हसुआ खुरपी अऊरो कुदाल 
इहे बाटे तहरो हो अउजार 
तुहु करेलs कमाल ढके 
खेतवा में हो 
इहे से त करेला सलाम तहरो के देशवा हो
उपजावेलs जान तू खेतवा में हो 
का भइल कइसे भइल की  
छोडs ताड़s देशवा के हमनी के तू 
ना रहबs त चली कइसे हमनी के देश 
तुहि बाड़s हमनी के देशवा के सान 
आ तुहि जा ताडs छोड़ी हमनी के जहान 
रहब ना देशवा में त तू 
त के उपजाइ गेहुआ अउरी धान
आ के करि खेतवा से हो अतना प्यार


2. पिया छोड़ी के गउवा समजवा

पिया छोड़ी के गउवा समजवा।।
ए रामा कवनs ई सहर में गइले।।
ना जाने कहवा उहो भुलइले।।
कवन दिहलस  मातीया रे उनको मार।।
भूली गइले उहो गउवा अउरो समाज।।
बाड़े उहो बहुते हो उहो सुकवार ।।
छोड़ी के हमके गइले उहो कहा।।
कहवा उहो रहिए ना ही कवनो घरवा दुवार!!
कइसे के खाइए अउरो बनइहे दूसरे हो जगह!!
कहले की जात बानी कवन रे कोयला खान।।
कहवा बाटे कोयला इहो रे खानवा ।।
कहले जाइ उहा करम कोलियरीया में ।।
हमहू हो काम।।
कहले आईब हम ढेर बाद।।
जब से उ गइले ना लागत बाटे मनवा हमार।।


विशाल सिंह, आयु- 16 वर्ष
प. बंगाल

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