46. श्री ज्ञानेश्वर गुंजन जी के 2गो कबिता (गीत) (91, 92) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता

 1. "कुकुर पुजौटी पर"

काथी बताई सुनाई रे गुइयाँ
कुकुर पुजौटी पर गोसयाँ बा भुइयाँ!
बिगड़ ईमान - धरम बिगड़ बा नाता
मनई के मतिया ना गतिया चिन्हाता!
हवा अनाज - पानी देसवा के खाता
गारी दे देसवा के पुतवा अघाता!!
देसवा के अगुआ भईल पनछुइयाँ!
कुकुर पुजौटी पर गोसयाँ बा  भुइयाँ ......
आस जोहे बरखा के खेत खरिहनवा
पूजा - नमाज करें खेत में किसनवा!
करजी के चिन्ता से कलपता मनवा
साँसत में पड़ल बा पातर परनवा!!
लागता बदरा ह सेमर के रुइयाँ !
कुकुर पुजौटी पर गोसयाँ बा भुइयाँ.....
पुरखा - पुरनिया के रोवता बंगला
पुसतैनी घर के उजड़ गईल जंगला!
देखी दुअरिया के आँख में रोवाई
घोठा आ घारी के सिसकी सवाई!!
लागेला गअवाँ के सहरे मुदइयाँ!
कुकुर पुजौटी पर.....................
सुख - चैन जिनगी से बाटे लपाता
हाय पइसा हाय पइसा सभे चिलाता!
पइसे ला टूटता रोज नेह -  नाता
लालच के रोग देखी रिश्ता के खाता!!
सेतिहे में चाहे सभे अनकर चिजुइयाँ!
कुकुर पुजौटी पर.........................
हवा - हवाई में सभ कुछ बुझाता
सपने में सोना आ चानी कटाता!
कागजे पर बान्हि - पुल सगरो बन्हाता
चुटकी में लाखो - करोड़ो गनाता!!
खोदनी पहाड़ त निकल गईल चुहिया!
कुकुर पुजौटी पर गोसयाँ बा भुइयाँ....


2. गाँव में ईनार रहे 


गाँव में ईनार रहे 
लगे गोनसार रहे!
छोट - बड़ मनई के
सुन्नर बिचार रहे!!
घोठवा के सोझा मोरा
बर - पीपर खाड़ रहे!
सुख - दुख बांटे खातिर
सभे तइयार रहे !!
अमराई के छंइयाँ
दुकहा परा गईल !
माई रे मोर गँउवा
सहर में हेरा गईल !!
गीतिया सुनावत कोइलि
भोर - भिनुसार रहे !
दोल्हापाती खेले खातिर
अमवा के डाढ़ि रहे !!
मनवा में बसल सबके
गँउवा - जवार रहे !
लौटे परदेसी घरे
प्रेम - बेवहार रहे !!
लरिकाई के गुँइया
दुकहा परा गईल !
माई रे मोर गँउवा सहर में हेरा गईल.......
अँचरा ओढ़ाके बहत
पुरुवा बयार रहे !
हरसावत मनवा के
सावनी फुहार रहे!!
दियरा से जिनगी के
जुड़ल कारोबार रहे !
झिझिरी खेलत नइयाँ
नदी मझधार रहे !!
बाढ़वा में उ ठइयाँ
दुकहा परा गईल !
माई रे मोर गँउवा सहर में हेरा गईल..... 


ज्ञानेश्वर गुंजन
पेशकार
सिविल कोर्ट
बेतिया
पश्चिमी चम्पारन
बिहार
मो न. 9546988690

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