35. राजीव कुमार जी के 2गो कबिता (गजल) (69, 70) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता
ग़ज़ल 1
केकरा से प्यार कर लीं केकरा के छोड़ दीं।
तोहरे खुशी के खातिर दुनिया के छोड़ दीं।
अब केहू और तोहरे दिल में त नइखे रहत।
क ह त तोहरे दिल के कमरा के छोड़ दीं।
दुनिया में भाई भाई से अब डेरात बाटे।
छोटका इहे बा चाहत बड़का के छोड़ दीं।
मां बाप बेटा बेटी सभे खुशी से रही ।
रउआ शराब सिगरेट गुटका के छोड़ दीं।
क ह तरू तू माई बबुआ के छोड़ द त।
सो च तनी कि हम अब तोहरा के छोड़ दीं।
ग़ज़ल 2
हमरा से ऊपर बइठल बा।
तोहरा भीतर डर बइठल बा।
ए धरती के उपर कब से ।
देख त अम्बर बइठल बा ।
के का करी देश के खातिर।
सब केहू जब घर बइठल बा।
हमरे अन्दर के उ लईका ।
आजो ले ममहर बइठलबा।
ए बाबू हम्मन के भाग्य ।
जाने कौन शहर बइठल बा ।
अपने मन के ही करे ला ।
दिल बनके अफ्सर बइठल बा।
राजीव कुमार
कृषि अधिकारी
जनपद हरिद्वार कृषि विभाग
फोन न 9760321111
बहुत शुक्रिया
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