34. जनकदेव जनक जी के 2गो कबिता (67, 68) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता

1. बात मानी राजा जी 

किरखी माई के
पूजा करीं
सब दुख भाग जाई,
नोकरी कहवां मिलत बा!
दुलुम भईल बेवसायो
बात मानी राजा जी
समय जन गंवाई।
पोथी पढ़-पढ़
देह मोला भईल
नजर गईल पथराई,
साल दर साल
देवता पितर के
कबले गोहराईब
कहल मानी राजा जी
बचकुचन मत कराई।
हम बेचब
आपन गहना-गुड़िया
खेत जरपेशगी धराई,
ग्रामीण बैंक से
लोन ले लीं
ट्रेक्टर नया किनाई
बात मानी राजा जी
जी मत घबराई।
लद गईल
जमाना
जोड़ा बैलन के
अब चास पर चास
ट्रेक्टर से जोताई,
बिलॉक से आई
हाईब्रीड बीज
ऑर्गेंनिक खाद छिटाई
मान जाई राजा जी
फसल खूब लहलहाई।
चिमनी भट्ठा से
ट्रेक्टर के डाला पर
लोग के घरे-घरे
ईटा ढोवाई,
खेत से खरिहान तक
मकई के बाल
जव आ गेहूं के बोझा
थ्रेसर में डाल के
दौनी करावल जाई
मत कोहनाई राजा जी
अन्न धन से घर भरजाई।
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2.  कब होई भोर.....

अंधरिया के लउकत नइखे छोर,ए गोइंया बोल होई कब अंजोर 
अंखियां में भरल बाटे लोर..हो........,

ए भइया बोल होई कब भोर
गरहन के रतिया राहू के आतंक 
चान के अंजोरिया बिना जगत बाटे सून
पसरल गदबेरवा चलत नइखे जोर......हो........

ए भइया बोल होई कब भोर!
 दिअरी उदास बाड़ी रूसल बाड़ें बाती
तेल बिन रोशनी के केहूं ना संघाती 
गवें गवें उठता मनवा में हिलार....हो.........

ए भइया बोल होई कब भोर!
कोहराइल धरमावा बा फुटल करमावां 
कइसे उजागर होई सांचल सपनवां.

होते भिंनुसार उठे चिरई के शोर....हो...........
ए भइया बोल होई कब भोर !

-जनकदेव जनक,लिलोरी पथरा,झरिया-828111,धनबाद,झारखंड.
मो 09431730244,ईमेलjdjanak@gmail.com

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