श्री कन्हैया प्रसाद रसिक जी के 1गो अउर होरी गीत (12) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

होलिया में अइते सजनवा

रचि रचि करितीं सिंगार, 
होलिया में अइते सजनवा ।।

कजरा के कोर के कटाह हम बनइतीं
सैंयाजी के देख दाँते ओठवा चबइतीं
सेजिया पो लुटतीं बहार हो
आहे सेजिया पो लुटतीं बहार
होलिया में अइते सजनवा
रचि रचि करितीं सिंगार, 
होलिया में अइते सजनवा ।।


प्यार के रंग उनका अंगे अंग लगइतीं
रकटल पियवा के जियरा जुड़इतीं
जाये ना दिहतीं बधार हो
आहे जाये ना दिहितीं बधार
होलिया में अइते सजनवा,

रचि रचि करितीं सिंगार , 
होलिया में अइते सजनवा ।।


देवरू जे अइते घुडुक के भगइतीं
ननदी के कान में संजीवनी चुवइतीं

सेजिया होइत गुलजार हो 
आहे सेजिया होइत गुलजार
होलिया में अइते सजनवा

रचि रचि करितीं सिंगार 
होलिया में अइते सजनवा ।।

कन्हैया प्रसाद रसिक 

परिचय:-
नाम- कन्हैया प्रसाद रसिक
ग्राम- हथडीहाँ , 
पोस्ट- सकरी रामनगर ( हसन बाजार)
जिला- रोहतास ( बिहार )
भूतपूर्व वायु सैनिक ( वारंट अफिसर )
कृति-  पथिक-पाथेय और ऊँ भ्रष्टाचाराय नम: ( हिन्दी में काव्य संग्रह )
मोबाइल नं. - 8867651348

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