श्री दिलीप पैणाली के 1गो होरी गीत (05) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

उड़ी कइसे अबीर 
उड़ी कइसे अबीर 
कहऽ बलम परदेसिया

साल-माथ के परब अइलऽ नाहीं घरवा,
तहरा बिन जाई करब का नइहरवा 
फगुआ बढ़ावेला पीड़ हो
कहऽ बलम परदेसिया
उड़ी कइसे अबीर ।

भौंरा खेलत बारें कलियन के संगवा,
देखी-देखी हमरो कुहुके सईंया मनवा ।
अंखियन से ढ़रकता नीर हो
कहऽ बलम परदेसिया
उड़ी कइसे अबीर ।

जइसे खेलेलें अजय धौला में होरी,
पैणाली दिलीप संगे करे बलजोरी ।
मन मोर होता अधीर, 
कहऽ बलम परदेसिया,
उड़ी कइसे अबीर ।

दिलीप कु.पाण्डेय
उर्फ दिलीप पैणाली 
सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
९७०७०९६२३८

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