श्री केशव मोहन पांडेय के 1गो होरी गीत (02) (प्रतियोगिता से परे) - फगुआ (होरी गीत) संग्रह पहल प्रतियोगिता - 2018

कबले रूप के रखवारी होई।।

उड़ि उड़ि धुरा फगुआ गाई
जा के तहरा देहिंया से लपटाई
जब चली बेयार फागुन के हो
जब चली बेयार फागुन के
फसीलियो के पाँव भारी होई।
कबले रूप के रखवारी होई।।

राग-रंग के बा रीत अलबेला
लइका-बूढ़ सभे करे खेला
रस में डूबल पियवा दुनिया हो
रस में डूबल पियवा दुनिया
घर घर में फाग लाचारी होई।
कबले रूप के रखवारी होई।।

प्रीति के रंग चढ़े सबका पर
बन जाये जगती अति सुन्नर
हरषी हरदम धरती अम्बर
हरषी हरदम धरती अम्बर
मरजाद भरल व्यापारी होई।
कबले रूप के रखवारी होई।।

*** केशव मोहन पाण्डेय ***

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