31. अरुण शर्मा जी के 2गो कबिता (61, 62) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता
बारी रे उमीरिया में प्रीत लगवनी
आरे होई गइलें पगली के भेष,
बलम परदेशे गइलें ना।
छोड़ी के आपन देश।
बलम परदेशे गइलें ना।।
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सून लागे आँगना, हो सून रे सेजरिया।
मनकरे देखीं पिया तोंहे भर नजरिया।।
उजर होई गइलें केश।
बलम परदेशे गइलें ना,
छोड़ी के आपन देश।।
*
नीक नाहीं लागे पिया, घर अँगनईया।
केकरा भरोसे मोहे छोड़s गइल सैया।
के से कहीं हिया के कलेश।
बलम परदेशे गइलें ना,
छोड़ी के आपन देश।।
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गवने के साया साड़ी, सेनुरा सिन्होरवा।
गिन पखवाड़ा बीते,चाँद के अँजोरवा।।
जिनिगी कटेला नाहीं शेष।
बलम परदेशे गइलें ना।
छोड़ी के आपन देश।।
परदेश में ऐ सैंया गईलs गौना के कराके का मिललs।
पिया दरद बढ़ाके तू गईलs अगिया के लगाके का मिललs।
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पिया भइलें कसुरवा कवन हमसे काहे लइलs कराके गवन हमके पिया नेहs लगाके तू गईलs हमरा के सता के का मिललs।
परदेश में ऐ सैया गईलs गौना के कराके का मिललs।
*
इ जावानी अब हमसे सहात नइखे मोर नैना के लोर अब सुखात नइखे बिरहिन तू बनाके पिया गईलs।
पतिया के भेजाके का मिललs।
परदेश में ऐ सैया गईलs गौना के कराके का मिललs।
अरुण शर्मा
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9689302572
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