47. श्री आशुतोष पाण्डेय उर्फ आशु बाबा जी के 2गो कबिता (गीत) (93, 94) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता
1. *भोजपुरी गायक लोग के गीत चोरी कके गावे वाला मानसिकता प व्यंग्य* गावल गावल गानावा के चोरी कके गाईब,रावा रोक लींहीं ना! बाज आदत से ना आईब ,रावा रोक लीहीं ना। आज आपन जश्न हम अपने मनाईब,रावा रोक लीहीं ना बाज आदत से ना आईब रावा रोक लीहीं ना।टेक। हमरा नियन गाना देखीं गावे नाहीं कोई, हमरा प्रोग्रामवा मे अब आवे नाही कोई। नाहीं जब आईब जबरदस्ती बोलाईब,रावा रोक लीहीं ना बाज आदत से ना आईब......।टेक। ना आपन शब्द नाहीं राग रस सिखनी, "आशु बाबा" अति भईल तब एगो लिखनी। नाहीं जब सुनब पुरजोर चिचिआईब,रावा रोक लिहीं ना, बाज आदत से ना आईब.....।टेक। 2. *कुआर मे अपना सजना से सजनी के नटखट निवेदन* *लागतारे लाज हो* रातहिं अँगानावाँ मे चौका पुराईल माई के आवे के शुभ दिन आईल। लेके तत्काल टिकट ,आजा राजा तुहूँ घरे, देखे के दाशाहारा मेला,राजा बाडा मन करे।टेक। आपन गँउवां मे होला डारामा कि बाबूजी लेलन पाठ हो, टोला मोहाल्ला के देवर संगे जाए मे लागता लाज हो। गाँव के डारामावां बाबूजी के पाठ हो, देवरन के संगवा मे लागतारे लाज हो। चिनिया वेदाम प फुसुलावता केहु तरे, देखे के दाशाहारा...