41. सुनील कुमार दूबे जी के 2गो कबिता (गीत) (81, 82) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता
1. हाय रे जमाना
कइसन ई समइया देखवल विधाता ।
कइसन ई समइया देखवल विधाता ।
बुझाते नइखे जमाना ई, कवना ओर जाता।।
चनुआ अपना बेटा के, तरकारी बेची बेची के पढ़वलस ....
पढ़ा- लिखा बड़का साहेब बनवलस...
उहे बेटा चनुआ के बाप कहे मे लजाता
बुझाते नइखे .............................. ...
बबुआ के शहर मे बाटे बड़का हवेली ...
गऊवा राम मड़इया हरहर ..हरहर चुयेली ...
बबुआ चले कार मे बाप के, टुटही सइकिलीयो ना भेंटाता
बुझाते नइखे .............................. .........
बाप माई भाई बहिन, हो गईले पराई.......
जे बाड़ी से सारा धन ,बाड़ी लुगाई ....
फुफूहर ममहर बाबू के फुटही, अखियो ना सुहाता
बुझाते नइखे.......................... ............
जाला नाही कबो अपना, गांव घर दुआरी...
बबुआ के फ्लाईट डायरेक्ट उतरे, अपना ससुरारी...
ससुर भईले पापा, सासु हो गईली माता
बुझाते नइखे.......................... ........
लेकिन एक दिन बाबू ,तुहू बाप बनब...
तुहू अपना नियन एगो, बेटा के जनमब...
कहे सुनिलवा बेटा जब छोड़ी, तब लागी पाता
बुझाते नइखे .............................
2. दारू पियत नारी देखनी....
सभ्यता भारत के हम बनत भिखारी देखनी ।
दारू पियत नारी देखनी ।
बाप ढारे बेटा पीये...
बेटा ढारे बाप पिये...
बाप बेटा मे होत मारामारी देखनी ।
दारु पियत ............................
मेहरी के बनारसी साडी किनाता..
फटहो लुगरी ना माई के भेटाता ..
प्राइवेट काम करत हम आदमी सरकारी देखनी ।
दारु पियत.......................... ........
माई बाबु भईले पराया ..
धईलस सास-ससुर के माया ..
घर छोड़ बबुआ के रहत ससुरारी देखनी
दारू पियत .......................... .
दादा हो आईल बा कईसन जमाना...
सारा नाता खिचे सठुआना ...
छुटत फुआ बहिन छुटत ननीहारी देखनी ।
दारू पियत ........................
- सुनील कुमार दूबे (दुबौलीया )
गाँव- डेमुसा दुबौली
पोस्ट- घाॅटी थाना- भटनी
जिला- देवरिया (उत्तर प्रदेश)
वाहः सुनील भैया बहुत निमन राउर दुनो रचना
जवाब देंहटाएंअति सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! बाबू गणेश जी
जवाब देंहटाएंThanks..sanju chacha ji.
जवाब देंहटाएंPranaam