अब कवितई (कविता प्रतियोगिता) के भाँजा

अब कवितई होई......जय-जय
#माईभाखा (#भोजपुरी) #कहानी #लेखन #प्रतियोगिता पूरा तरे सफल भइल। ओ सब महानुभाव लोगन के हिरदय से धन्यवाद जे सीधा भा परोछ रूप से ए प्रतियोगिता के सफल बनावे में सहजोग कइल। बहुत खुसी बा की माईभाखा (https://mybhakha.blogspot.in/2017/07/1.html) पर काल्ह दुपहरिया से अबहिन ले लगभग 150 मान्यवर पाठक लोग आपन उपस्थिति दरज करावल अउर जितवइया लोगन से परिचित भइल।
अब कवितई के भाँजा बा....काल्ह परसों में एकर घोसना (https://mybhakha.blogspot.in) पर क देहल जाई। रचनाकार लोगन से निहोरा रही की आपन ताजा कविता पठावे के बा अउर परिनाम घोसित भइले तक ए के कहीं अउर परकासित नइखे करावे के। एक बेर परिनाम घोसित भइले की बाद रउआँ अपनी कविता के जहाँ मोन करे उहां परकासित करा सकेनीं। कुल मिलाके 3गो पुरस्कार रही पर अगर कविता के आवक जेयादा बा त इ पुरस्कार 5गों हो सकेला। हर रचनाकार आपन अधिका से अधिका दु गो कविता भेज सकेला......पूरा जानकारी खातिर काल्ह-परसों ले तनि इंतजार करीं। :)
एगो अउर बात इ जवन भी आयोजन हो रहल बा, ओकर उदेस लिखवइया लोगन के प्रोत्साहित कइले की साथे-साथे अधिका लोग के माईभाखा से जोड़ल बा, माईभाखा के समरिध कइल बा। पुराना लिखवइया मने जे मानल-जानल भा हाथ बइठउआ कवि बा, ओ लोगन की साथे-साथे नवलिखनहारन के भी पूरा धेयान राखल जाई। मने अगर केहू धी के लड्डू टेड़ों भेजता, ओ हू के धेयान रखाई....ए से फायदा इ होई की सब केहू हाथ अजमाई। कविता खूब अइहेंसन त दुगो हथबइठउआ रचनाकार लोगन के त 3गो नया रचनाकार लोगन के चुनल जाई।
अब सुनीं...अगर रउआँ लिखतानीं त पढ़ेवाला के आभार कइल मत भुलाईं। पाठक महानुभावन के नमन करत हम इ चाहतानी की जेतना भी कविता अइहेंसन ओ पर सबसे तार्किक अउर निस्पछ टिप्पनी करेवाला लोगन के भी पूरा सनमान दिआई। दु भा तीन गो एइसन पाठकन के भी चयन होई अउर बेंवतभर ओ हू महानुभाव लोगन के सनमानित कइल जाई। ए से फायदा इ होई की निर्नयकरता लोगन पर जेयादे भीर ना परी अउर निर्नय करत समय उ लोग पाठक महानुभाव लोगन के आइल अनमोल टिप्पनी के भी आधार बनाई लोग।
त तनि एसा अउर समय दीं जां....अतवार ले संभव बा की ए कवितई प्रतियोगिता के घोसना हो जाई। त एक बेर परेम से बोलीं...जय-जय माईभाखा....जय-जय भोजपुरी.....बेहिचक रउआँ आपन विचार, राय दे सकेनीं....आदर सहित परनाम बा।

टिप्पणियाँ

  1. नीमन परयास बा ! अग्रिम बधाई !!

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  2. बहुते नेक परयास हो रहल बा ,पं प्रभाकर गोपालपुरिया जी के अग्रिम बधाई !

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  3. साधुवाद स्वीकार करीं जा म्हराज ! हम स्वीकार करतनीं के साहित्य के पाठक लो के बड़ अकाल हो गइल बा। लिखे वाला त खूब बाड़न पर पढ़इया बहुत कम बा। केहू भाखा के अस्तित्व खातिर एह सबसे बड़ चुनौती बा ।
    राउर निहोरा मत करीं ! सरकार ! हम पढ़ब ....पूरा गीत कविता पढ़ब ... किंतु टिप्पणी !
    हमनी के बुझाता के राउर के हमनी लोग से समीक्षात्मक टिप्पणी के अपेक्षा बा ...ईहो बड़ कठिन काम बा । किंतु हम प्रयास करब ...पूरा निष्ठा से प्रयास करब ।
    राम-राम !

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