5. गणेश नाथ तिवारी जी के दुगो कबिता (8, 9) - माईभाखा कबितई प्रतियोगिता

          (1)
तोहार ई सूरतिया हमरा लूभा गइल बा
जवन मंगले रहलु तवन आ गइल बा।
अगर होखे समय त हवेली पर आ जइह
तोहार राह ई अंखिया हमार ताक रहल बा।
तोहार रूप अइसन बा कि बखानी का
सावरी सूरत आ अंखिया मृगनयनी बा।
जब सवरेलु तू सावन में हरियरका रंग में
का कही केतना नीक लागे ला अंग अंग में।
तू त उहे पूर्णमासी के पुरनका चांद बाड़ू
हई नायका जमाना से एकदमे अनजान बाड़ू।
सावन के हरियाली नियर खूब खिलखिलात बाड़ू
सवांरी के सूरत ,पहिन के पायल छनकावत बाड़ू।
का करि एह गोरी सब बिधि के बिधान बा
तू कहवा अउरी हम कहवा पता ना ठेकान बा।
बाकिर करबू घर परिवार के निमन सेवा इहे विश्वास बा
बाबा विश्वनाथ से एहि सावन में "गणेश" के आस बा।


                 (2)
हरियाली के महीना ,झिसीया परेला रोज
मनवा नइखे लागत,संघतिया बिना मौज।

रही पहिले गउआ, त होखे रोज मीटिंग
बाबा तर विहाने,त होखे रोज सिटिंग।

कहे लोगवा रोजो, ना काम बा ना धाम
खाली बईठ के खाता,करत बा आराम।

दिन भर पीपर बैठी,रति के होखे पढ़ाई
लोगवा बुझे सगरो, खाली घूम के करे लड़ाई।

हरियाली के महीना ,झिसीया परेला रोज
मनवा नइखे लागत,संघतिया बिना मौज।

छुटल जबसे गउआ,कमाए लगली नोट
पहिला सैलरी मिलल, चढवानी बाबा के रोट।

छुट्टी अइनी गावे, लगनी सब बतलावे
मिलेला रियाल उहवा,त बड़ा मजा आवे।

बाकिर इहवाँ नाही ,संगति अउरी साथी
कइसे बैठी इहवाँ, दिन कटे ना राति।

नइखन कवनो साथी गावे,ना कवनो संघाती
छोड़ देहले सब गउआ,रुपिया कमाए खाती।

पहिले जयकारा खूब गूंजे,हर हर महादेव हर गावे
सावन में सब मिलके ,संघतिया जल चढ़ावे।

परल ऊसर चबूतरा, बालनाथ बाबा के गावे
लाइका गइले कमाये, बुढऊ लो खाली आवे।

हरियाली के महीना ,झिसीया परेला रोज
मनवा नइखे लागत,संघतिया बिना मौज।

गणेश नाथ तिवारी"श्रीकरपुरी" के कलम से
श्रीकरपुर, सिवान
+919523825251
+966569460230
जय भोजपुरी--जय भोजपुरिया

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