6. मान्यवर नवीन कुमार पांडेय के कहानी - नोटपैड (माईभाखा कहानी लेखन प्रतियोगिता-1)

आज रविवार बा अवकाश के दिन,एह दिन जगरोपन के ज्यादातर समय अखबार,टीवी,पत्रिका, मोबाईल सोसल मिडिया के वाट्सएप फेसबूक आदी पर बीते।आजु 'मदर्स डे'(माई दिवस) बा। जवन चिझु पर भी नजर डालत बाड़न सभी जगह माई लोग के महान कार्य, जवन कि माई लोग खातिर साधारण कार्य होला ,के हीं चर्चा दिखाई दे रहल बा । सोसल मिडिया पर त सबसे जादा ।लगभग अनुकर सभी मित्र लोग अपना-अपना माई के साथे फोटो आ माई के वर्णन अपना-अपना लेखन क्षमतानुसार कइले बा लोग, बधाई के अदान-प्रदान बा।उनुकर एगो मित्र द्वारा उनुका माई भाषा में माई के फोटो के साथे वर्णन त उनुका के काफी गहराई तक प्रभावित कइलख। एह सब से अब बम्बे के वासी हो गएल जगरोपन का आपन माई इयाद पर गईलीहऽ।
उनका बिहार के अपना गाँवे घरे गइला,माई आ छोट भाई भूलन के देखला आ बात कइला लगभग 10 बरिस हो गएल बा।एह बीचे ससुरार आ सढुआना के प्रयोजन में चार पाँच हाली जवार के जतरा भी कइलन बाकिर अपना धर्मपत्नी सुशिला(जे अब "सुश"कहाएल पसन करेली)के दबाव में अपना घरे ना जा पइलन। ससुरार के लोग जरूर हमेशा सम्पर्क में रहे।ओही लोग से कभी कभार उनुका माई आ छोट भाई भूलन के बारे में जानकारी मिल जाए।ई जानकारी मिलल रहे कि उनुका गाँव छोड़ला के बाद भूलन नजदीक के शहर में लेक्चरर आ उनुकर पत्नी गाँव में हीं शिक्षिका हो गएल बाड़ी ,आ उ गाँव में सुन्दर घर बना लेले बाड़न।ई अलग बात बा कि इ सब जानल उनका पत्नी सुशिला का जहर से कम ना लागे।
   जब जगरोपन का माई आ बचपन के इयाद आ गइल ह भावुक हो गइले हं त सोंचले ह कि माई से तनी बतिअइतीं बाकिर घर के भा गॉव के केहु के फोन नम्बर नइखे।
एही कुल पर सोंचत ईयाद परल ह कि फेसबुक पर अपना गाँव के संघतिया लोग के सर्च करऽतानी कहीं केहु मिल जाए ।कई गो नाम सर्च कइला में असफलता के बाद उ तब के आपन पड़ोसी आ गरीब मगर मेधावी संघतिया गणेश के नाम टाइप कर के सर्च कइलन त एह नाम के दर्जनों लोग में से उ गणेश भी कुछ कुछ बदलल चेहरा के कारण कई तरह के असमंजस में पड़त निकलत मिल गइलहन।अब उनुकर प्रोफाइल खोल के देखल शुरु कइलन।आज मातृ दिवस के अवसर पर गणेश के द्वारा एगो छोट लेख का संगे डालल फोटो पर नजर पड़ल पहचाने के कोशिश कइलन थोड़ा मशक्कत के बाद उ फोटो पहचान गइलन ।उ गणेश का संगे उनकर माई आ उनकर छोट भाई भूलन के फोटो रहे,लागल जइसे कवनो अस्पताल में बेड पर उनकर माई बाड़ी आ दुनु जना उनका सिरहना बइठल बा लोग। थोड़ा अचरज में पड़के लगलन पोस्ट पढ़े।गणेश के ओह फेसबूक पोस्ट में लिखल रहे कि,
   "हमार बाबूजी त बचपने में गुजर गइनी आ माई भी आज से आठ बरिस पहिले तब गुजर गइली जब हमरा इन्टर पास कइला के बाद आपन जीवन संवारे खातिर उनकर सहायता के सबसे जादा जरुरी रहे।बाबूजी के मुअला पर माई के मिलेवाला आश्रीत पेंशन हीं हमर आ माई के सहारा रहे,माई के साथे उ सहारा भी हमरा से छीना गएलं रहे।अब हमरा जियेला  आपन पढ़ाई के विचार छोड़ के मजदुरी कएल मजबुरी हो गएल रहे।कुछ हीं दिन बितल कि एक दिन होत भोरे हमरा पड़ोस के एगो देवी हमरा घरे अइली आ आके पुछली, कि हो गणेश गाँव भर के लोगसे, जगरोपन आ भूलन से भी हम सब दिन सुनत आ गइनी  कि गणेशवा पढ़े में बहुत तेज बा जरूर एक दिन अच्छा करी आ तू बाडऽ कि पढ़ाई छोड़ देहलऽ अइसन मत करऽ ।तोहरा आगे पढ़े में जे खर्चा लागी हम देम,जइसे हम जगरोपन के पढ़वनी आ उ  बैंक अधिकारी बन गइलन,जाइसे भूलन के पढ़ावत बानी वइसहीं तोहरो पढे के खर्च हम अपना खेती बारी से निकाल के करब।आ तोहरा पढे के हीं पड़ी ।बुझलऽ कि एगो माई के ई आदेश बा आ हमरा मुअले पर तु हमर बात कटीहs
अब इन्कार कएल हमरा बस के ना रहे ।
बस का रहे हमरा माई के गुजरला के बाद एगो माई मिल गईली सहारा, साथे खिआवे,राखे पढावे लगली हमहुँ मेहनत कइनी आज ओही देवी के आशिर्वाद,सहयोग बा कि आज हम SDOबानी,ई ना रहती त हम मजदुर हीं रहतीं शायद।उ देवी माई इहे फोटो में बाड़ी आज जीवन मौत से लड़त अस्पताल के बेड पर पड़ल बाड़ी,तीन दिन से बेहोशी में भी, एकतरह से आपन बिछुड़ल बड़ बेटा 'जगु'आ फोटो में दिखाई दे रहल आपन छोट बेटा 'भूलन' के नाम के रट लगवले बाड़ी। हम भगवान से प्रार्थना करऽतानी कि एह माई के जल्दी ठीक कं देस ,बाकिर डॉक्टर लोग कहता कि इनकर ठीक भएल बहुत हीं मुश्किल बा। हमर जीवन सम्हारे वाली ई माई के सेवा में हमहुँ अवकाश लेके आज दस दिन से बानी,काश!कि माई ठीक हो जइती😢
आज मातृ दिवस पर एह माई,आपन जन्मदात्री माई के संगे संग दुनिया भर तमाम माई लोग के गोड़ लागऽतानी आ निहोरा करऽतानी सभी भाई लोग से कि अपना-अपना माई के ख्याल राखीं।जय हो माई के।"
   सबका के मातृ दिवस के शुभकामना।
अतना पढला के बाद जगरोपन के भी माई के साथ जुड़ल बहुत बात/घटना चलचित्र जइसन उनका दिमाग में चले लागल ।भावुक हो गइलन आ ऑख से आंसू आवे लागल।जगु गणेश के आई डी पर तुरंत फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज देहलन,गणेश के भी फेसबूक भी चालु रहे उ मित्र आग्रह स्वीकार कर के जगु के मेसेन्जर पर 'स्वागत'लिख के भेजलन,एने से जगु भी वायस कॉल लगा देहलन रिसिव कईला के बाद उ आपन परिचय गणेश से देके माई के हाल जनलन।गणेश भी बतवलन ,कि हो जगु भइया चाची तीन दिन से बेहोशी में खाली तोहरे आ भूलन के नाम के रट लगवले बाड़ी,अगर संभव होखे त तु दु-तीन दिन खातिर भी आ जा, कहीं तोहरा के देख के ,तोहर आवाज सुन के इनका होश आ जाए आ चाहें ठीक भी हो जास त बड़ा अच्छा रहीत।ई माई हमरा खातिर हमरा माई गुजरला के बाद जेतना सहयोग कइले बाड़ी हम इनका खातिर कुछ नइखीं कर पवले।हमनी त दस दिन से अस्पताल में चाची के हीं सेवा में लागल बानी जा।जगु कहलन,हम जरूर आएम गणेश ,भुलन हम आवऽतानी,हम आवतबानी कहत जगु फुट फुट के रोवे लगलन।जगु के रोवत देखके बगल में खेलत उनुकर दुनुं लरिका पुछ देहलन।"क्या हुआ डैडी क्यों रो रहे हैं आप?
एक जना अपना माँ मे बोला लेहन उनका माँ भी आवते,उनका ऑसू पर सवाल क देहली।
    तब  जगु रुंधल गला से मेबाईल में के लेख पढ़ के सुनवलन आ अंत में फोटो देखावत कहलन कि ल देख लऽ ई लेख में हमरा हमरा पड़ोस के एगो छोट भाई गणेश,हमरा माई के बारे में लिखले बाड़न।कतना महान बिया हमर माई आज बेमारी के हालत में अस्पताल में पड़ल बिया दोसर कोई सेवा करत बा बाकिर हम सेवा नइखीं कर पावत।कहत -कहत जगु फफक के रोये लगलन।लइका लोग भी अवाक रहे ।
तब थोड़ा रोष में सुशिला बोले लगली "अरे इसमें रोने की कौन सी बात है।यहीं न तुम्हारी माँ है कि जायदाद में ठीक से हिस्सा नहीं देना चाहती थी और यह जानते हुए कि हमें बम्बे में फ्लैट लेनी है जमीन नहीं बेचने देना चाहती थी,अपने सारे गहने अपने छोटे बेटे के लिए छुपा के रख ली बुढिया ने। सच पुछो तो तुम्हारा भला नहीं देखना चाहती थी,अपने उस छोटे बेईमान बेटे भूलना के सामने।आज ऐसी हीं औरत के लिए तुम्हे प्यार उमड़ने लगा!
  अब जगु  गुस्सा में आके(शायद दामपत्य जीवन में पहली बार पत्नी पर के आएल गुस्सा रहे) अब बस करऽ सुश, झुठ आरोप मत लगावऽ हमरा माई पर,नातऽ आज हमरा से बुरा कोई ना होई।अरे बचपन में जब बाबूजी एगो दुर्धटना में गुजर गईनी तबसे माई आ बाप दुनुं बनके माई हीं हमनी दुनुं भाई के पालन-पोषण कइलक ,जब हम पनरह बरिस के उमिर में भयंकर बेमार पड़नी त आपन सारा गहना बेच देहलक हमरा ईलाज में ,अपना खेतन में मजदुरन का संगे आ अकेले भी रात-दिन मेहनत करके उपार्जन करके हमनी पढाई में कवनो कमी ना आवे देहलक,तोहरा हमरा कहला पर ना चाहते हुए भी करेजा पर पत्थर रख के जमीन जायदाद सब के बंटवारा आ हमरा द्वारा जमीन आ घर के समान के बेचल देखलक ,जवन कि सबके हमर माई काफी संघर्ष क के बचा के रखले रहे।इहां तक कि पंच लोग जे कुछ जमीन ओकरा के जीवनवृति खातिर देहलक लोग ओह में से आधा तोहरे कलह लगइला से,बाद में दे देहलक जवन हम बेच देहनी।इ सब तु अच्छी तरह से जानत बाड़ू।अरे सांच त इहे रहे कि तु हमरा माई आ भाई के अपना साथे ना राखल चाहत रहलु।आ हमहूँ तोहरा बात,तोहार जिदद आ शहरी चकाचौंध के फेरा में पड़ के गाँव के सारी सम्पती बेच दिहनी ,गाँव से सम्पर्क तुर लेहनी आ स्थायी वासी हो गइनी एह बम्बे के।
देखऽ आज हम जातानी अपना गाँवे माई से भेंट करे,उ अस्पताल में जीवन आ  मौत से लड़ रहल बिया ।हमनी के पाले पोसे,पढावे लिखावे  में माई कवनो कमी ना कइलक, हरदम भला कइलक आ हम ओकरा खातिर कुछ ना कर पवनी।गाँव छोड़त घरी माई कहले रहे कि बबुआ तु आपन कुछ जमीन रहे द कम से कम एहु बहाने त सालो दु साल पर गाँव अइबऽलोग आ हम अपना पोता के देखलेब,खेलालेम आ सम्पती रही त कवनो कठीन समय में काम आई।बाकिर तु ओकरा पर बेईमानी धरावत रह गइलु।ओकरा पर तोहरा बेईमानी धरावला,कुबोल बोलला के चलते भूलन खिसिआ के तोहरा के कुछ कड़ा बोलले रहलें आ माई अन्सा के पंच लोग जे ओकरा जीनववृति खातिर खेत देहले रहे ओहमें से आधा दे देहलक आ हम बेच के आ तोहरा के ले ले ईहां आ गइनी सदा खातिर ।आ ओकर ई आखिरी इच्छा भी पूरा ना कर पवनी,कहत कहत जगु फफक के रा पड़लन ,लईका लोग अवाक रहे उ लोग के समझ में कुछ ना आवत रहे।काहे कि तब एके गो लरिका रहस बंटी आ उ ओह समय दु साल के अबोध बालक रहस,पोता के प्रेम में जगु के माई पागल रहस पर उनुकर खेलावल,घुमावल सुशिला का तनिको ठीक ना लागे आ उ एह लोग से सदा खातिर छुटकारा पावे के सोंचस।
जगु कहलन "बंटी तुम भी तैयार हो जाओ मेरे साथ तुम्हे भी अभी मेरे गाँव चलना है।"
सुशिला तैश में आके,तुमको वह पाली पोसी है,तुम्हे जाना है तो जाओ, मैं बंटी को किसी भी कीमत पर नहीं जाने दूंगी,आखिर क्या किया है उस बुढिया और उसके राक्षस बेटे भूलना ने मेरे बेटे के लिए।
बंटी भी अपना माँ के कठोर स्वभाव से परिचित रहस पिता के साथे जाये के इच्छा रख के भी माँ के भय से कुछ ना बोललन, जगु त पूर्णतः परिचित रहलन खिस में उ इनका के हीं जाये के कह देहली इहे कम ना रहे नाहीं त कई बार जहर खाये आ आत्महत्या के कीमत पर भी उ आपन बात मानेला जगु के मजबूर कंर चुकल बाड़ी।
जल्दीबाजी में जगु आवश्यक सामन लेके बैग में रखलन आ स्टेशन पहुँच गइलन ।ट्रेन भी तुरंत रहे टिकट लेके अपना गन्तव्य के ट्रेन पर सवार होके चल देहलन।
यात्रा में रात, फिर दिन,फिर रात हो गएल पुरे रास्ता जगु का माई,भाई  के साथे गाँव में बचपन से लेके अब तक के बितावल सुख आ दुख के दिन चलचित्र के भांति स्मरण में आवत जात रहे।चेहरा पर कभी मुस्कान,कभी दुख त कभी खिस के भाव बनत बिगड़त रहल, रह-रह के आँसू आवत रहल बाकिर नींद ना आएल।अब यात्रा में दुसरका रात के समय बा कुछ हीं घंटा में उनकर स्टेशन आवेवाला बा ना जाने कब उनुकर आँख लाग गएल। निंद में भी अब सपना में माई के हीं देखत रहस ।रात के आखिरी पहर सपना में देखत बाड़न कि माई के गोद में सिर रख के ई सुतल बाड़न आ माई कबो सिर दबावत बाड़ी त कबो बाल में अंगुली फेरऽतारी,आ समझावत बाड़ी कि पतोह,पोता के ठीक से देखभाल करीहऽ,ठीक से पढईहऽ ,आपनो खेयाल रखिहऽ।अचानक केहु के झकझोरला से आ अवाज लगइला से उनकर निंद टुटल देखत बाड़न त  एगो बुढी औरत सफेद बाल सफेद  साड़ी में इनकर माथा पकड़ के हटावत कहली बबुआ खूब सुत लेलऽ अब उठऽ हमरा के जाये द,हमरा जतरा के समय अब पूरा हो गएल।हमर स्टेशन आ गएल बाहर हमरा जायेला गाड़ी लागलहीं होई,अब हम चलऽनी।कह के उ ट्रेन से उतर गइली।
जगरोपन आँख पोंछत,जम्हाई लेत बाहर देखताऽड़न त देखलन कि ई उनुकरे स्टेशन ह,गाड़ी सिटी दे के बढत हीं रहे जगु जल्दी से आपन बेग लेके नीचे उत्तर गइलन ।अभी रात हीं रहे ,प्लेटफार्म पर आके ख्याल आएल त चारू ओर नजर दउरईलन बाकिर कहीं उ बुढी औरत ना दिखाई देली।तबतक उनका फेसबूक मेसेन्जर पर  गणेश के आई डी से वायस कॉल आएल,रिसीव कइलन,. . . . हं हेलो! भइया हम भूलन बोलऽतानी, फेरु भरल कंठ से बोललन,स्टेशन चहुँप के सीधे घरहीं आ जइहऽ खाली तोहरे इनतजार बा।
 जगु कई गो खेयालन में डुबत निकलत,शंका आशंका के बीच बहुत कुछ सोंचत,आंसू  बहावत पोंछत,घर के ओर चल देहलन।
       

नवीन कुमार पांडेय

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